8TH SEMESTER ! भाग-9 ( Esha...)
"आइईई ....."बस इतना ही बोल पाया मैं एश को देखकर , और आवाज़ भी इतनी धीमी थी कि मेरे साथ खड़े मेरे क्लास वाले भी उस आवाज़ का ना सुन पाए....
मैं पहले भी हैरान हुआ करता था और अब भी हैरान हुआ करता हूँ, कि अरुण कैसे जान जाता है कि दूसरे क्या सोच रहे है....
"मतलब...."ज़मीन पर औधा लेटा वरुण सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए मुझसे पुछा...
"मतलब की.."मैने अरुण की तरफ देखा, साला दारू की बोतल लिए बाथरूम से बाहर आ रहा था"अरुण की एक ख़ासियत है, वो किसी का भी शकल देखकर ये बता देता है कि उसके अंदर क्या चल रहा है ,वो बंदा किस सोच मे डूबा हुआ है...."
"ऐश की एंट्री हो गई क्या...?"अरुण ने मेरे चेहरे के भाव देख पूछा
"हाँ बे,.."
"फिर तो..."ये बोलते हुए वरुण ज़मीन पर बैठ गया और अरुण की तरफ देखा...."ये साला बाथरूम मे बोतल लेकर क्यूँ गया था ?"
"अपनी आदत है..."मेरे पास बैठते हुए वरुण की तरफ देखकर अरुण ने जवाब दिया...
"बड़ी अजीब आदत है बे, अच्छा हुआ खाने की प्लेट लेकर बाथरूम जाने की आदत नही है ,वरना एक तरफ से मेटीरियल बाहर निकलता तो दूसरी तरफ से अंदर जाता...."वरुण ज़ोर-ज़ोर से ठहाके लगाने लगा और मुझसे बोला"तू क्यूँ रुक गया बे, आगे बता क्या हुआ...."
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उस दिन लंच मे जब मैने धीमी आवाज़ मे "आइ"बोला था , तब अरुण मेरे बगल मे ही खड़ा था, और जब एश हमारी आँखो के सामने से गुज़री तो वहाँ एक अरुण ही ऐसा लड़का था जो एश की जगह मुझे देख रहा था और मेरे चेहरे के बदलते रंग को देखकर वो समझ गया था कि मेरे अंदर अभी क्या चल रहा है......
"चल आजा..."मेरा हाथ पकड़ कर अरुण बोला...
"अबे कहाँ आजा..."
"चल एश से तेरी बात कराता हूँ..."
ये सुनते ही मैने तुरंत उसका हाथ दूर किया और बोला"तुझे ऐसा क्यूँ लगा कि मैं एश से बात करना चाहता हूँ ?"
"अब बेटा हम को गिनती गिनना ना ही सिख़ाओ...जब से तूने उसे देखा है, तेरे फेस पर लाली छाइ हुई है..."
"अबे हट....ऐसी दर्जनो लड़कियो को मैं रोज देखता हूँ, तो इसका मतलब ये तो नही कि मैं उससे बात करू...."
"अभी उन दर्जनो लड़कियो को छोड़ और बाई तरफ देख..."
दूसरी तरफ से एश अपनी जुल्फे लहराती हुए आ रही थी, उस वक़्त दिल मे अरमान उठे कि काश एश सीधे मेरे पास आए और मुझे बोले कि "hey handsome... What is your name... Can i get your mobile number please...."
मतलब दिल मे अरमान जागे कि वो मुझे देखे और मुझे देखते ही उसे मुझसे प्यार हो जाए, वो करीब आती गयी और मेरे मुँह से "आइ......"वर्ड एक बार फिर बाहर आया, लेकिन जब वो अपने क्लास की तरफ घूमी तो ये "आइ...."वर्ड वापस अंदर चला गया....
"दिल तोड़ दिया उसने उस तरफ घूमकर..."अपने सीने मे हाथ रखकर सहलाते हुए मज़किया अंदाज़ मे मैं बोला...."यार, अरुण कुछ जुगाड़ करना....उसे एक बार सही से देखना चाहता हूँ...."
"चल आजा फिर..."अरुण ने एक बार फिर मेरा हाथ पकड़ा...
"अबे कुत्ते हाथ छोड़, छोटा बच्चा हूँ क्या, जो बात-बात पर हाथ पकड़ लेता है..."
"प्यार है पगले..."
"इस प्यार को ??
Sana Khan
01-Dec-2021 02:03 PM
Good
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Kaushalya Rani
25-Nov-2021 09:06 PM
Nice part
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Barsha🖤👑
25-Nov-2021 03:06 PM
बहुत बढ़िया भाग।
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